जब मधुरिमा संपत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, "आप अपना नाम मधुरिमा बनर्जी, बेटी ए.के. बनर्जी नहीं लिख सकतीl आप शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फ़िर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए।" मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, "अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?'' आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों ?
Answers
उत्तर :
मेरी राय में इस विवाद में मधुरिमा का पक्ष सही है। अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए। यह विवाद समानता के अधिकार से संबंधित है । क्योंकि वह अपना नाम अपनी इच्छा अनुसार लिख सकती हैं । उसे अपने नाम के साथ राव लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न
स्वतंत्रता के अधिकार पर ये पाबंदियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।
क. भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। ख. स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है।
ग. शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबंध लगाती है।
https://brainly.in/question/9695964
मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के किरानी ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, 'झाड़ लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफ़ाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।' इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज की तरफ़ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो
https://brainly.in/question/9702967
Answer:-
इस विवाद में मधुरिमा एक अधिकार है और रजिस्ट्रार गलत है
वह अपनी मर्जी के अनुसार अपना नाम लिखवा सकती है।
उसे समानता का अधिकार है और राव को उसके नाम के साथ लिखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
कोई भी किसी भी नागरिक को विवाह के बाद भी अपना नाम बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।