History, asked by shwetaveer, 7 months ago

जग-जीवन में जो चिर महान,सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ!
जिससे मानव-हित हो समान! जिससे जीवन में मिले शक्ति छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,मैं वह प्रकाश बन सकें नाथा मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति।

is Kavita mein kavi ne akhil vyakti ka prayog kyon Kiya hai​

Answers

Answered by MonicaDivya
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Answer:

जग-जीवन में जो चिर महान,

सौंदर्य-पूर्ण औ सत्‍य-प्राण,

मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ!

जिसमें मानव-हित हो समान!

जिससे जीवन में मिले शक्ति,

छूटे भय, संशय, अंध-भक्ति;

मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ!

मिट जावें जिसमें अखिल व्‍यक्ति!

दिशि-दिशि में प्रेम-प्रभा प्रसार,

हर भेद-भाव का अंधकार,

मैं खोल सकूँ चिर मुँदे, नाथ!

मानव के उर के स्‍वर्ग-द्वार!

पाकर, प्रभु! तुमसे अमर दान

करने मानव का परित्राण,

ला सकूँ विश्‍व में एक बार

फिर से नव जीवन का विहान!

Explanation:

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Answered by alfiyakhan789000
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akhil vyakti ka matlab hindi me

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