जगत की सेवा करने से क्या लाभ मिलता है
Answers
Answer:
Explanation:
जीवन एक आदर्श है। मनुष्य का जीवन एक आदर्शात्मक प्रवाह है। मानव जीवन एक आदर्श है, उसका अस्तित्व ही आदर्श है। जो भी वह करे, वह आत्म मोक्षार्थ ही होना चाहिए। अपने मोक्ष के लिए और संपूर्ण मानव समाज के विकास के लिए। ये दोनों ही उसे करना चाहिए यानी ये दोनों उसके जीवन के आदर्श हैं। आप जानते हैं कि इस संसार में सब कुछ चलायमान है। इसे चलना ही है। मान लो कोई कहे कि 'मैं नहीं चलूंगा'। तब भी वह रुका नहीं रहेगा। वह नीचे की ओर चलने लगेगा। इसलिए आपको सदा ऊंचे की ओर चलने का प्रयास करना चाहिए अन्यथा आप नीचे जाने को बाध्य हो जाएंगे। इस विश्व में अचल सत्ता है ही नहीं। सब कुछ चल रहा है। यदि आप ऊपर नहीं चलेंगे, तो नीचे चले जाएंगे। इसलिए मनुष्य को जो भी कुछ करना हो, वह अपने मोक्ष के लिए ही करना चाहिए। मोक्ष का तात्पर्य है संपूर्ण बंधनों से परे की अवस्था। मनुष्य अपने आध्यात्मिक उत्थान के लिए सब कुछ कर रहा है, पूर्ण बंधन मुक्ति के लिए। अपने मोक्ष के लिए कार्य करना ठीक है, किंतु क्या तब वह स्वार्थी नहीं है? वह जो भी कर रहा है अपने मोक्ष के लिए कर रहा है, किंतु दूसरों के लिए कुछ भी नहीं कर रहा है। आप बताएं, क्या यह सत्य नहीं है कि ऐसा व्यक्ति स्वार्थी है। इसलिए मनुष्य जब अपने मोक्ष के लिए काम कर रहा है, तब उसे दूसरों की सेवा भी करनी चाहिए। सेवा चार प्रकार की होती है।
सेवा का पहला प्रकार-अपने भौतिक शरीर के माध्यम से सेवा करना है यानी शारीरिक सेवा करना। जैसे चिकित्सा सेवा। सेवा का दूसरा प्रकार है दुर्बलों की सहायता और सुरक्षा करना। तीसरा प्रकार है- निर्धनों को भोजन देना और जरूरतमंदों की मदद देना। चौथा प्रकार नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करना है। सभी प्रकार की सेवाओं का महत्व समान है, फिर भी नैतिक शिक्षा का परिणाम स्थायी होता है, जबकि अन्य सेवाओं का प्रभाव उतना स्थायी नहीं होता है। कम मूल्यवान नहीं होने के बावजूद उसका प्रभाव अस्थायी होता है। इसलिए एक अच्छा व्यक्ति इस सिद्धांत का अनुसरण करेगा कि उसका जीवन आत्ममोक्ष प्राप्त करने के लिए और जगत के हित के लिए है।