'जगत में घर की फूट बुरी' से तात्पर्य है
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जगत में घर की फूट बुरी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
फूटहिं सो सब कौरव नासे, भारत युद्ध भयो। जाको घाटो या भारत मैं, अबलौं नाहिं पुज्यो। फूटहिं सो नवनंद बिनासे, गयो मगध को राज। चंद्रगुप्त को नासन चाह्यौ, आपु नसे सहसाज।
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