जगत देखि रोयी का क्या भाव है-
O (A) जगतराम को देख कर रोने लगना
O (B) संसार की बनावट को देखकर रोना
O
(C) संसार में प्राणियों को मोह-माया में लिप्त
देखकर दुखी होना
(D) संसार की चाल देखकर रोना।
Answers
सही उत्तर है...
(C) संसार में प्राणियों को मोह-माया में लिप्त देखकर दुखी होना
✎... जगत देखि रोयी का भाव है कि संसार में प्राणियों को मोह-माय में लिप्त देखकर मीराबाई दुखी हो रही हैं। मीराबाई कहती हैं कि...
दधि मथि घृत काढ़ि लियों, डारि दयी छोयी
भगत देखि राजी हुयी, जगत देखि रोयी
दासि मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही
अर्थात मीराबाई कहती हैं कि मैंने कृष्ण के प्रेम रूपी दही को भक्ति रूपी मथनी से बड़े प्रेम से बिलोया है और मैंने उस दही से सार-तत्व अर्थात घी को अलग निकाल लिया है और छाछ रूपी सार हीन अंशों को वहीं छोड़ दिया है।
प्रभु के जो भी भक्त हैं, उन्हें देखकर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हो रही है, लेकिन संसार के लोगों को मोह माया के बंधन में जकड़े देखकर उन्हें रोना आ रहा है, दुख हो रहा हैय़ मीराबाई स्वयं को श्री कृष्ण की दासी बताते हुए उनसे अपने उद्धार की प्रार्थना करती हैं।
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