Hindi, asked by riteshagrawal087, 10 months ago

Jaishankar Prasad Ji ka Jeevan Parichay in short​


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जयशंकर प्रसाद जी का जीवन परिचय

हिंदी में छायावादी काव्य के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 ई० में वाराणसी में हुआ|

बहुमुखी प्रतिभा में सम्पत्र जयशंकर प्रसाद ने 'सुँघनी साहू' नामक प्रसिद्ध एवं वैभव संम्पत्र एक ऐसे परिवार में जन्म लिया जिसमें विद्वानों एवं कलाकारों को समुचित सम्मान दिया जाता था |

उनके घर में शिव की उपासना की जाती थी।

पारिवारिक विवशताओ के कारण कक्षा 8 तक ही वे स्कूली शिक्षा प्राप्त कर सकें ।

आगे चलकर स्वाध्यायी प्रसाद ने घर पर ही संस्कृत के गहन अनुशीलन के अतिरिक्त हिंदी, उर्दू , बंगला आदि का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया।

पारिवारिक एवं आर्थिक संकटों में गस्त साहसी जयशंकर प्रसाद अनवरत रूप से साहित्य सर्जना में रत रहे ।

उनकी गणना मूर्धन्य साहित्यकारों में की जाती है ।

वे शीर्षस्थ कवि होने के अतिरिक्त सुप्रसिद्ध नाटककार ,कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबंध लेखक भी थे ।

वस्तुतः जयशंकर प्रसाद ने स्वानुभूति एवं गहन चिंतन को साहित्य की विविध विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया तथा विविध कलाकृतियों की रत्न राशि से हिंदी भाषा एवं साहित्य के भंडार को समृद्ध एवं समुन्नत बनाया इनकी मृत्यु 1937 ई० में हुई|

कृतित्व

जयशंकर प्रसाद की पांच कहानी संग्रह है छाया, प्रतिध्वनि ,आकाशदीप, आंधी और इंद्रजाल ।


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Answered by llAngelicQueenll
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जयशंकर प्रसाद जी का जीवन परिचय

हिंदी में छायावादी काव्य के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 ई० में वाराणसी में हुआ|

बहुमुखी प्रतिभा में सम्पत्र जयशंकर प्रसाद ने 'सुँघनी साहू' नामक प्रसिद्ध एवं वैभव संम्पत्र एक ऐसे परिवार में जन्म लिया जिसमें विद्वानों एवं कलाकारों को समुचित सम्मान दिया जाता था |

उनके घर में शिव की उपासना की जाती थी।

पारिवारिक विवशताओ के कारण कक्षा 8 तक ही वे स्कूली शिक्षा प्राप्त कर सकें ।

आगे चलकर स्वाध्यायी प्रसाद ने घर पर ही संस्कृत के गहन अनुशीलन के अतिरिक्त हिंदी, उर्दू , बंगला आदि का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया।

पारिवारिक एवं आर्थिक संकटों में गस्त साहसी जयशंकर प्रसाद अनवरत रूप से साहित्य सर्जना में रत रहे ।

उनकी गणना मूर्धन्य साहित्यकारों में की जाती है ।

वे शीर्षस्थ कवि होने के अतिरिक्त सुप्रसिद्ध नाटककार ,कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबंध लेखक भी थे ।

वस्तुतः जयशंकर प्रसाद ने स्वानुभूति एवं गहन चिंतन को साहित्य की विविध विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया तथा विविध कलाकृतियों की रत्न राशि से हिंदी भाषा एवं साहित्य के भंडार को समृद्ध एवं समुन्नत बनाया इनकी मृत्यु 1937 ई० में हुई|

कृतित्व

जयशंकर प्रसाद की पांच कहानी संग्रह है छाया, प्रतिध्वनि ,आकाशदीप, आंधी और इंद्रजाल ।

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