Hindi, asked by nairitamukherjee, 9 months ago

Jal Chakra ke bare mein ek Chhota anuchchhed likho. galat ans mat dena kal mera hindi exam hai plsss​

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Answered by kengpt11
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Answer:

पानी पृथ्वी पर विभिन्न पहलुओं की एक विस्तृत श्रृंखला निभाता है। कुछ आइस कैप्स में शाफ्ट में हैं, और कुछ पहाड़ों और हिमनदों में उच्च पहाड़ों के उच्चतम बिंदुओं पर हैं। कुछ झीलों और धाराओं में हैं, और कुछ भूमिगत है। कुछ हवा में वाष्प है। फिर भी, पृथ्वी पर पानी का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में है।

धरती में निश्चित मात्रा में पानी है। वह पानी चारों ओर आसपास और निश्चित रूप से यह हमेशा चलता रहता है। यही है जिसे हम “जल चक्र” कहते हैं।

जल चक्र सूर्य की ऊर्जा से प्रेरित होता है। सूर्य समुद्र की सतह और अन्य सतह के पानी को गर्म करता है, तरल पदार्थ वाष्पीकरण और बर्फ को विशेष रूप से ठोस से गैस तक बदल देता है। ये सूर्य संचालित प्रक्रिया जल वाष्प की संरचना में वायुमंडल में मौजूद पानी को स्थानांतरित करती हैं।

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Answered by shouryasajan547
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Explanation:

जल चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भण्डार से दूसरे भण्डार या एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करने की चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है। अतः यह प्रकृति में जल संरक्षण के सिद्धांत की व्याख्या है।

इसके मुख्य चक्र में सर्वाधिक उपयोग में लाए जाने वाला जल रूप - पानी (द्रव) है जो वाष्प बनकर वायुमण्डल में जाता है फिर संघनित होकर बादल बनता है और फिर बादल बनकर ठोस (हिमपात) या द्रव रूप में वर्षा के रूप में बरसता है। हिम पिघलकर पुनः द्रव में परिवर्तित हो जाता है। इस तरह जल की कुल मात्रा स्थिर रहती है।

यह पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्यावरण रुपी पारिस्थितिक तंत्र में एक भूजैवरसायन चक्र (Geobiochemical cycle) का उदाहरण है। उन सभी घटनाओं का एक पूर्ण चक्र जिसमें होकर पानी, वायुमंडलीय जलवाष्प के रूप में आरंभ होकर द्रव्य या ठोस रूप में बरसता है और उसके पश्चात्त् वह भू-पृष्ठ के ऊपर या उसके भीतर बहने लगता है एवं अन्ततः वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा पुनः वायुमंडलीय जल-वाष्प के रूप में बदल जाता है।

जल के समुद्र से वायुमण्डल में तथा फिर भूमि पर बहुत सी अवस्थाओं जैसे अवक्षेपण अंतरोधन अपवाह, अन्त: स्यन्दन अन्त: स्त्रवण भौमजल संचयन वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं के बाद पुन: समुद्र में वापिस जाने का घटना चक्र।

जलीय परिसंचरण (circulation) द्वारा निर्मित एक चक्र जिसके अंतर्गत जल महासागर से वायुमंडल में, वायुमंडल से भूमि (भूतल) पर और भूमि से पुनः महासागर में पहुँच जाता है। महासागर से वाष्पीकरण द्वारा जलवाष्प के रूप में जल वायुमंडल में ऊपर उठता है जहाँ जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण (precipitation) द्वारा जलवर्षा अथवा हिमवर्षा के रूप में जल नीचे भूतल पर आता है और नदियों से होता हुआ पुनः महासागर में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक जल-चक्र पूरा हो जाता है।

सागर से वायुमंडल तथा थल पर से होता हुआ वापस सागर तक जाने वाला जल का परिसंचरण चक्र। जल वापस सागर तक थल पर से बहता हुआ अथवा भूमिगत मार्गों से पहुंचता है। इस निरंतर चलते रहने वाले चक्र में जल अस्थायी रूप से जीवों में तथा ताजे पानी बर्फिली जमावटों अथवा भूमिगत भंडारों के रूप में जमा होता रहता है।

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