जल संरक्षण का महत्व बताते हुए दो मित्रों के बीच संवाद करिया
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तेजू : क्या कर रही हो विशाखा?
विशाखा: कुछ नहीं, बस खेल रहीं हू |
तेजू : चलो अब घर में खेलते हैं |
विशाखा : हाँ! चलो हाथ-मूह धो लेते हैं और फिर खेलेंगे|
तेजू: मेरा हो गया अब तूम धो लो |
अरे! यह क्या विशाखा नल ठीक से बंद करो |
विशाखा : तो क्या हूआ तेजू थोड़ा सा ही तो पानी बहा है |
तेजू : थोड़ा ही सही पर पानी तो बर्बाद हूआ है ना?
विशाखा: थोडे़ से पानी से क्या होगा पुरी टंकी तो खाली नहीं कि है ना|
तेजू : हो जाता अगर मेरा ध्यान में नहीं आता तो | और, पानी थोड़ा हो या ज्यादा पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए | आखिर "जल ही तो जीवन है" और हमे हमेशा जल का संरक्षण करना चाहिए उसे बचाने के लिए हमेशा तौयार रहना चाहिए |
विशाखा : हाँ तेजू अब से में भी जल बचाने के लिए हमेशा प्रयास करूँगी आखिर "बूंद बूंद से ही तो समंदर बनता है " अगर आज धोड़ा धोड़ा पानी बचा लेंगे तो कल पानी के लिए झगड़ना नहीं पडेगा |