जलोढ़ मृदा के विस्तार वाले राज्यों के नाम बतावे। इस मृदा में कौन कौन सी फसलों लगारीता जा सकती है
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जलोढ़ मिट्टी उत्तर भारत के पश्चिम में पंजाब से लेकर सम्पूर्ण उत्तरी विशाल मैदान को आवृत करते हुए गंगा नदी के डेल्टा क्षेत्र तक फैली है। अत्यधिक उर्वरता वाली इस मिट्टी का विस्तार सामान्यतः देश की नदियों के वेसिनों एवं मैदानी भागों तक ही सीमित है। हल्के भूरे रंगवाली यह मिट्टी 7.68 लाख वर्ग किमी को आवृत किये हुए है। इसकी भौतिक विशेषताओं का निर्धारण जलवायविक दशाओं विशेषकर वर्षा तथा वनस्पतियों की वृद्धि द्वारा किया जाता है। इस मिट्टी में उत्तरी भारत में सिंचाई के माध्यम से गन्ना, गेहूँ, चावल, जूट, तम्बाकू, तिलहन फसलों तथा सब्जियों की खेती की जाती है। उत्पत्ति, संरचना तथा उर्वरता की मात्रा के आधार पर इसको तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है, जो निम्नलिखित है -
पुरातन जलोढ़ या बांगर मिट्टी
नदियों द्वारा बहाकर उनके पाश्र्ववर्ती भागों में अत्यधिक ऊंचाई तक बिछायी गयी पुरानी जलोढ़ मिट्टी को बांगर के नाम से जाना जाता है। नदियों में आने वाली बाढ़ का पानी ऊंचाई के कारण इन पर नहीं पहुंच पाता है। नदी जल की प्राप्ति न होने, धरातलीय ऊंचाई तथा जल-तल के नीचा होने के कारण उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं बिहार की काफ़ी मिट्टी ऊसर हो गयी है। ऐसी मिट्टी रेह या कल्लर कहलाती है।
Explanation:
भारत के जिन राज्यों में बहुतायत में जलोढ़ मिट्टी है, वे इस प्रकार हैं
- पंजाब
- हरियाणा
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- पश्चिम बंगाल
हालांकि, जिन राज्यों में यह कम मात्रा में मौजूद है, वे हैं
- गुजरात
- राजस्थान के कुछ हिस्से
- मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से
इस प्रकार की मिट्टी में लगाई जा सकने वाली फसलें हैं
- चावल
- गेहूँ
- गन्ना
- तंबाकू
- कपास
- दलहन
- तेल के बीज आदि