जल उठो फिर सींचने को' इस पंक्ति का भाव - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
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सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा लिखी गई है |
यह पंक्ति निराशा और दुःख से उभरने की प्रेरणा देती है|
कवि के अनुसार मनुष्य को निराशा और दुःख से उभरने के लिए एक बार फिर प्रयत्नशील होना चाहिए| यह कविता जहाँ उत्साह का संचार करती है , वही एक जीने के लिए नई हिम्मत और आशा भी देती है| मुश्किल समय में बहार निकलने में मदद करती है| कवि लोगों को इस कविता के जरिए जीवन में निराशा और दुःख से लड़ने के लिए प्रेरित कर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग बताता है|
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