Hindi, asked by anusinghanurag9298, 10 months ago

कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है - यह भावना कवि के मन में क्यों आई ?

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Explanation:

भव अर्णव की तरणी तरुणा

भव-अर्णव की तरुणी तरुणा ।

बरसीं तुम नयनों से करुणा ।

हार हारकर भी जो जीता,--

सत्य तुम्हारी गाई गीता,--

हुईं असित जीवन की सीता,

दाव-दहन की श्रावण-वरुणा ।

काटे कटी नहीं जो कारा

उसकी हुईं मुक्ति की धारा,

वार वार से जो जन हारा ।

उसकी सहज साधिका अरुणा ।

2. तन की, मन की, धन की हो तुम

तन की, मन की, धन की हो तुम।

नव जागरण, शयन की हो तुम।

काम कामिनी कभी नहीं तुम,

सहज स्वामिनी सदा रहीं तुम,

स्वर्ग-दामिनी नदी बहीं तुम,

अनयन नयन-नयन की हो तुम।

मोह-पटल-मोचन आरोचन,

जीवन कभी नहीं जन-शोचन,

हास तुम्हारा पाश-विमोचन,

मुनि की मान, मनन की हो तुम।

गहरे गया, तुम्हें तब पाया,

रहीं अन्यथा कायिक छाया,

सत्य भाष की केवल माया,

मेरे श्रवण वचन की हो तुम।

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Answered by bbhaveshk597
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Answer:

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