सरोज के नव - वधू का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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सरोज के नव - वधू का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जब अपनी पुत्री सरोज का विवाह कर रहे हैं, तो उन्हें विवाह के समय अपनी पत्नी सरोज सरोज बेहद सुंदर दिखाई दे रही है। उन्हें अपनी पुत्री सरोज कामदेव की पत्नी रति के समान अति सुंदर प्रतीत हो रही है। जब उनकी पुत्री धीमी मुस्कान से हंसती है, तो ऐसे लगता है कि बिजली उसके होठों के बीच चमक रही हो। उसके विवाह का हर्षोल्लास उसके चेहरे पर स्पष्ट दिखायी दे रहा है।
कवि की पुत्री सरोज अपने रूप और गुण में बिल्कुल अपनी मां की छाया के समान प्रतीत हो रही है और उसके अंग प्रत्यंग से सौंदर्य फूट-फूटकर बाहर आ रहा है। उसके आंखों में नई नवेली दुल्हन की भाँति लज्जा व्याप्त है और उसके चेहरे पर संकोच का भाव है जो कि एक नव विवाहिता के चेहरे पर होता है। उसकी आँखें झुकी हुई हैं तथा उनमें चमक है और उसकी आँखों की चमक धीरे-धीरे उतरकर होठों तक फैल रही है। यही चमक उसके होठों में स्वाभाविक कंपन पैदा कर रही है।