जलिया वायु विषय पर एक कविता लिखिए
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देखो जहां को क्या हो गया है!
नहीं किसी को फ़िक्र कल की
ये जीने का अन्दाज़े बयां क्या है!
होते थे जो मौसम कभी पहले,
सर्दी,गर्मी और बरसात
हो या कि बसंत बहार!
अब किसी भी मौसम में कुछ भी
ना जाने अब क्या क्या हो गया है!
हमने खुद,खुद के साथ क्या किया है
ना जाने ये जीने का अन्दाज़े बयां क्या है!
क्यूं धोका दे रहे हम खुद के साथ
आने वाली पीढ़ी को दे रहे अभिशाप!
गर रह ही ना जाएंगे ये जंगल,पेड़ और नदी
तो फिर क्यू ना हो जायेगी प्रकति में छति!
थोड़ा सा तो अब संयम बरतो अपने करतूतों पे
धरा को हरा भरा करके बचा लो तुम सपूतो को!!
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