जलचर थलचर नभचर नाना , कितने रूप दिखाया , तेरी माया तू ही जाने , मुनि-जन-मन अकुलाया।। iska rass kya hai
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adbhut ras...............
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जलचर थलचर नभचर कितने रूप दिखाया।
तेरी माया तू ही जाने मुनि जन मन अकुलाया ।।
इन पंक्तियों में अद्भुत रस की प्रतीति होती है, क्योंकि इन पंक्तियों में विस्मय या आश्चर्य प्रकट किया गया है।
Explanation:
अद्भुत रस की परिभाषा के अनुसार जहां पर विस्मय या आश्चर्यचकित करने वाला भाव प्रकट होता हो तो वहां पर अद्भुत रस प्रकट होता है। अद्भुत रस में विस्मय भाव अपने अनुकूल आलंबन, उद्दीपन, अनुभव और संचारी भाव का सहयोग पाकर आस्वाद का रूप धारण कर लेता है, वहां पर अद्भुत रस बन जाता है।
अखिल भुवन चर अचर सब , हरिमुख में लखि मात।
चकित भई गदगद वचन विकसित दृग पुलकात।।
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