Sociology, asked by gurpalentkaran2833, 10 months ago

जनजातियाँ आदिम समुदाय हैं जो सभ्यता से अछूते रहकर अपना अलग-थलग जीवन व्यतीत करते हैं', इस दृष्टिकोण के विपक्ष में आप क्या साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहेंगे?

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Answered by deepaliguptab1
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जन जातियों के अलग-थलग जीवन यापन पर साक्ष्य

अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति है और उस अनेकता के मूल में निश्चित रूप से भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित जनजातियाँ हैं।विभिन्न विद्वानों ने जनजाति शब्द के पर्याय के रूप में आदिम जाति, वन्य – जाति, आदिवासी, वनवासी,  असाक्षर, निरक्षर, प्रागैतिहासिक, असभ्य जाति आदि नाम दिया है।  

जनजातियां आदिम समुदाय है, जो सभ्यता से अछूते रहकर अपने अलग जीवन व्यतीत है आदिम जनजातियां भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में भी हैं- सेंटीनेली व जारवा

1991 की जनगणना के अनुसार 6,77,58,380 भारत में जनजातियों की जनसंख्या है।

भारतीय मानवशास्त्री प्रोफेसर धीरेन्द्र नाथ मजुमदार ने जनजाति की व्याख्या करते हुए कहा है कि जनजाति परिवारों या परिवार समूहों के समुदाय का नाम है। इन परिवारों या परिवार – समूह का एक सामान्य नाम होता है ये एक ही भू – भाग में निवास करते हैं, एक ही भाषा बोलते हैं विवाह, उद्योग – धंधों में के ही प्रकार की बातों को निबिद्ध मानते हैं।  

भारत के जंगलों में रहने वाली जनजाति जो आज  विकसित नहीं हुए है , इनको पसंद नहीं होता  कि कोई भी सामान्य मनुष्य इनके जीवन से छेड़छाड़ करे |  

जनजाति का निवास घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रो  है  

न तो वो हिन्दू है , न ही खेतिहर

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Q.1.- किरदूल के आसपास कौन-कौन-सी जनजातियाँ रहती है।

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