janm kitne prakar ke hote h
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Answer:
A mixture is a kind of matter which is formed by mixing two or more pure substances (elements and compounds) in any proportion, such that they do not undergo any chemical change and retain their individual properties.
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1 :- गर्भ जन्म :-
माता के उदर (गर्भ) में रज-वीरज के परस्पर मिलने के फलस्वरूप जो जन्म होता है, वो गर्भ जन्म है ! ये जन्म लेने वाले जीव "गर्भज जीव" कहे जाते हैं !
गर्भ जन्म भी 3 प्रकार का है :-
१.क :- जरायुज गर्भ जन्म :- ये जीव माँ के गर्भ में "रक्त और मांस के समान आवरण/झिल्ली में रहते हैं" ... जीव के उत्त्पन्न होने के बाद ये झिल्ली फट जाती है और जीव बाहर आ जाता है ...
जैसे :- मनुष्य, गाय, भैंस इत्यादि का जरायुज गर्भ जन्म होता है ...
२.ख :- अण्डज गर्भ जन्म :- जो जीव माँ के गर्भ से अंडे में उत्त्पन्न होते हैं ! वह अण्डज गर्भ जन्म वाले होते हैं !
जैसे :- कबूतर, चील, सांप इत्यादि ...
३.ग :- पोतज गर्भ जन्म :- जो जीव बिना किसी आवरण/झिल्ली या अंडे के उत्त्पन्न होते हैं, और पैदा होते ही कुछ समय में चलने-फिरने लगते हैं, वो पोतज गर्भ जन्म वाले कहलाते हैं !
जैसे :- शेर, बिल्ली, हिरन इत्यादि ...
2 :- उपपाद जन्म
देव व नारकी जीवों के उत्त्पत्ति स्थान को उपपाद शैय्या कहते हैं !
देवलोक में देवों का उपपाद स्थान "दिव्य वस्त्र से ढकी हुई शैय्या" के समान होता है, जहाँ जीव बिना माता-पिता के स्वयं ही अपने योग्य स्थान में पैदा हो जाता है और अन्तर्मुहुर्त में सुंदर शरीर कि रचना कर लेता है,जो कि वक्रियिक होता है ! देव वस्त्राभूषण सहित उत्त्पन्न होते हैं !!!
नारकी जीव पाप के उदय से "ऊंट के मुंह के जैसे दिखने वाले भयानक" आकृति वाले "बिल" के समान उपपाद स्थान में अत्यंत कष्टपूर्वक जन्म लेते हैं !!!
और उनका भी वक्रियिक शरीर होता है (शरीर 5 प्रकार के होते हैं, आगे जानेंगे ... )
7 नरकों में कुल 84 लाख बिल होते हैं , जिनमे नारकी रहते हैं और इन्ही बिलों कि छत पर इनका उपपाद स्थान होता है, जहाँ से ये जन्म लेते हैं ...
केवल देव व नारकियों का ही उपपाद जन्म होता है !
इनकी जघन्य आयु 10,000 वर्ष और उत्कृष्ट आयु 33 सागर की है !!!
3 :- सम्मूर्च्छन जन्म
माता-पिता के रज-वीरज के बिना, स्वमेव वातावरण में सब ओर से शरीर के योग्य पुद्गल परमाणुओं को ग्रहण करके जीवों का जो जन्म होता है, वो सम्मूर्च्छन जन्म कहलाता है !!! ये जीव बिना माता-पिता के सहयोग से उत्त्पन्न होने वाले होते हैं ...
एक से लेकर चार इन्द्रिय वाले तथा असंज्ञी पंचेन्द्रिय त्रियंचों के यह जन्म होता है !
किन्ही संज्ञी पंचेन्द्रिय त्रियंचों और मनुष्यों के भी यह जन्म होता है !
ऐसे मनुष्यों का जन्म स्त्री-पुरुष के मल-मूत्र व पसीना आदि से होता है, ये मनुष्य "अपर्याप्त" और "नपुंसक वेद" वाले होते हैं !
इनका शरीर हमारी अंगुली का असंख्यात्वें भाग मात्र में रहता है और जन्म लेने के बाद शीघ्र ही नष्ट हो जाता है !
सम्मूर्च्छन जीवों की जघन्य आयु १/१८ श्वास और उत्कृष्ट आयु १ कोटि पूर्व की होती है !!!
Explanation:
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