jase vayu ki lahare kati hui patang ko sahasa bhumi par nahi gir jane deti usi tarah paristhitiyon mai hamari posakh hame jhukne sak rok sakti hain........स्पस्ट करे
chapter 1 Dukh Ka Adhikaar
Answers
Answer:
उत्तर :
“जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।”
इन पंक्तियों के द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक या वस्त्र से होती है। व्यक्ति द्वारा पहनी हुई पोशाक से ही पता चलता है कि व्यक्ति उच्च श्रेणी का है अथवा नहीं । पोशाक ही उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का ज्ञान करवाती है। इसलिए जिस प्रकार कटी हुई पतंग तुरंत जमीन पर नहीं गिरती उसी प्रकार से उच्च वर्ग की पोशाक पहनने वाला व्यक्ति भी सरलता से निम्न वर्ग के व्यक्ति के पास बैठने की कोशिश नहीं करता। उसकी अभिजात्य वर्ग की पोशाक उसे फटेहाल व्यक्ति के पास बैठने से रोकती है उसे यह चिंता रहती है कि फटेहाल व्यक्ति के पास उसे बैठा देखकर लोग क्या कहेंगे?
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Explanation:
Answer:
Hi,
Explanation:
उत्तर :
“जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।”
इन पंक्तियों के द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक या वस्त्र से होती है। व्यक्ति द्वारा पहनी हुई पोशाक से ही पता चलता है कि व्यक्ति उच्च श्रेणी का है अथवा नहीं । पोशाक ही उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का ज्ञान करवाती है। इसलिए जिस प्रकार कटी हुई पतंग तुरंत जमीन पर नहीं गिरती उसी प्रकार से उच्च वर्ग की पोशाक पहनने वाला व्यक्ति भी सरलता से निम्न वर्ग के व्यक्ति के पास बैठने की कोशिश नहीं करता। उसकी अभिजात्य वर्ग की पोशाक उसे फटेहाल व्यक्ति के पास बैठने से रोकती है उसे यह चिंता रहती है कि फटेहाल व्यक्ति के पास उसे बैठा देखकर लोग क्या कहेंगे?
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
<><><><><><>
brainliest plzz.........
@CutyMiley143......