जय जन भारत कविता का मूल भाव दो तीन पत्तियों में स्पष्ट कीजिए
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प्रथम सभ्यता ज्ञाता
साम ध्वनित गुण गाता
जय नव मानवता निर्माता
सत्य अहिंसा दाता
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