Hindi, asked by akshitha1197, 9 months ago

‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग का सारांश लिखिए ।

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Answered by itzAshuu
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Answered by sindhu789
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‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग का सारांश नीचे दिया गया है -

Explanation:

सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 ई० को कटक में हुआ था। माता का नाम प्रभावती देवी था जो अत्यंत विदुषी धार्मिक महिला थीं तथा पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। इन्होंने बाल्यावस्था में अपनी माता से राम, कृष्ण, अर्जुन, बुद्ध, शिवाजी, प्रताप तथा महावीर आदि की कथाएं सुनी थीं जिसका प्रभाव बालक सुभाष पर पड़ा।  

सुभाष ने बड़े हो कर अपने परिश्रम और लगन से सभी शैक्षिक परीक्षाओं में उत्तम अंक प्राप्त कर के अपनी तीव्र बुद्धि का परिचय दिया। विद्यालय में अपने गुरु बेनीमाधव जी के प्रभाव से, इनमें दीन-हीनों तथा दुःखी-दरिद्रों के प्रति प्रेम, करूणा एवं सेवाभाव जागृत हुआ। सुभाष ने अपनी अल्प आयु में ही जाजपुर ग्राम में भयंकर बीमारी फैलने पर रोगियों की सेवा की। सुभाष ने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर के कलकत्ता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज में प्रवेश लिया। तथा वहीँ पर आजीवन अविवाहित रहने की प्रेरणा सुरेशचन्द्र बनर्जी से प्राप्त की। कलकत्ता  महर्षि विवेकानन्द का ओजस्वी भाषण सुन कर सत्य की खोज में मथुरा, वृन्दावन, कशी तथा हरिद्वार आदि तीर्थों एवं हिमालय की कंदराओं में भ्रमण किया, परन्तु कहीं भी इन्हे शान्ति नहीं मिली। प्रेसीडेन्सी कॉलेज में अंग्रेज़ प्रोफेसर ऑटेन द्वारा भारतियों की निन्दा सुनकर देश के अपमान को सहन न कर सकने के कारण सुभाष ने उसके गाल पर एक तमांचा मार कर स्वाभिमान, देशभक्ति एवं साहस का अद्भुत उदहारण दिया। जिसके कारण इन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। फिर एक अन्य कॉलेज से इन्होने बी० ए० की परीक्षा पास की तथा विदेश जा कर आई० सी० एस० की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। स्वदेश से लौटने के बाद अपने देश की दयनीय दशा देख कर तथा महात्मा गाँधी और देशबन्धु चितरंजनदास से प्रभावित हो कर सरकार द्वारा प्रदत्त आई० सी० एस० के उच्च पद को त्याग दिया और स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए।

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