जयपुर में भी हवा लेने के लिए पंचमहल की तरह एक इमारत है
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जयपुर में हवामहल नामक एक इमारत है, जो हवा के आवागमन और अपनी आकर्षक शैली के लिये प्रसिद्ध है।
Explanation:
हवा महल राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है। जिसका निर्माण 1798 ईस्वी में जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। इस हवामहल इमारत के मुख्य वास्तुकार लालचंद उस्ता थे। इस इमारत को बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते का आभास होता है। यह इमारत लाल बलुआ पत्थरों से बनी हुई है। यह एक पांच मंजिला इमारत है जिसमें 953 बेहद सुंदर और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियां लगी हुई है। खिड़कियों को झरोखा कहते हैं। इस इमारत के निर्माण का मुख्य उद्देश्य ये था कि उस समय जयपुर रियासत की राजघराने की महिलाएं इस इमारत से बाहर की गतिविधियों को बिना पर्दा प्रथा का पालन किए आराम से देख सकें, क्योंकि इस इमारत की संरचना इस तरह बनाई गई है कि इस इमारत के भीतर से तो बाहर का दृश्य आराम से दिखता है लेकिन बाहर से भीतर का दृश्य नहीं दिखता। जब एक खिड़की से हवा गुजर कर दूसरी खिड़की से बाहर निकलती है, तो एक सुखद एहसास होता है और इस इमारत की खिड़कियों की संरचना के कारण इस इमारत में हमेशा हवा का आवागमन रहता है और भीषण गर्मी में भी इमारत का वातावरण वातानुकूलित रहता है, इसलिए इसे हवामहल कहते हैं।
Answer:
hawa mahal
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