Hindi, asked by aman9107, 1 year ago

जयशंकर प्रसाद की किसी नाटिका पर पुस्तक-समीक्षा तैयार कीजिए I

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Answered by Sunny20167
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नाटककार जयशंकर प्रसाद

हिन्दी नाटक-साहित्य में प्रसाद जी का एक विशिष्ट स्थान है। इतिहास, पुराण-कथा और अर्द्धमिथकीय वस्तु के भीतर से प्रसाद ने राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल को पहली बार अपने नाटकों के माध्यम से उठाया। दरअसल उनके नाटक अतीत कथाचित्रों के द्वारा तत्कालीन राष्टीय संकट को पहचानने और सुलझाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ‘चन्द्रगुप्त’ ‘स्कन्दगुप्त’ और ‘ध्रुवस्वामिनी’ का सत्ता-सघंर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न से जुड़ा हुआ है।

प्रसाद ने अपने नाटकों की रचना द्वारा भारतेन्दुकालीन रंगमंच से बेहतर और संश्लिष्ट रंगमंच की माँग उठायी। उन्होंने नाटकों की अन्तर्वस्तु के महत्त्व को रेखांकित करते हुए रंगमंच को लिखित नाटक का अनुवर्ती बताया। इस तरह नाटक के पाठ्य होने के महत्त्व को उन्होंने नजरअन्दाज नहीं किया। नाट्य रचना और रंगकर्म के परस्पर सम्बन्ध के बारे में उनका यह निजी दृष्टिकोण काफी महत्त्वपूर्ण और मौलिक है।

प्रसाद जी के नाटक निश्चय ही एक नयी नाट्य भाषा के आलोक से चमचमाते हुए दिखते हैं। अभिनय, हरकत और एक गहरी काव्यमयता से परिपूर्ण रोमांसल भाषा प्रसाद की नाट्य-भाषा की विशेषताएँ हैं। इसी नाट्य-भाषा के माध्यम से प्रसाद अपने नाटकों में राष्ट्रीय चिन्ता के संग प्रेम के कोमल संस्पर्श का कारुणिक संस्कार देते हैं।
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