jeev jantuvonke bareme essay
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HII DEAR ❤❤❤
जंगली (वन्य) जीव पर निबंध====
संसार के विभिन्न भागों में बड़े-बड़े जंगल पाए जाते हैं । इन जंगलों में जंगली जीव निवास करते हैं । जंगली जीवों को अपने आवास से भोजन एवं सुरक्षा प्राप्त होती है । लेकिन जैसे-जैसे जंगल कटते जा रहे हैं वैसे-वैसे इनकी संख्या में कमी आती जा रही है |
जंगल में बड़े आकार वाले भयानक एवं हिंसक जीवों का निवास होता है । हाथी जंगल का एवं भूमि का सबसे बड़ा जीव है लेकिन यह शाकाहारी होता है । शेर, बाघ, भालू, चीता, लोमड़ी, अजगर आदि बड़े शरीर वाले जीव मांसाहारी होते हैं । शेर को जंगल का राजा माना जाता है क्योंकि यह बहुत शक्तिशाली होता है तथा इसकी चाल बड़ी रोबीली होती है । वन में हाथी ही एकमात्र जीव है जो इसका सामना करने की सामर्थ्य रखता है । इसीलिए मनुष्य हाथी पर सवार होकर जंगल भ्रमण पर निकलते हैं । हाथियों को देखकर शेर उनके पास नहीं आता है ।
जंगल में जहाँ बड़े खूँखार जीव रहते हैं वहीं जिराफ हिरन नीलगाय बंदर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या भी कम नहीं होती । शाकाहारी जंगली जीव वन में उपलब्ध हरी पत्तियों फलों एवं घास खाकर जीवित रहते हैं । मांसाहारी हिंसक जीव अपेक्षाकृत छोटे या कम शक्तिशाली जीवों का शिकार करते हैं एवं उनका मांस खाते हैं । इस प्रकार जंगल में आहार की एक संतुलित शृंखला है जो जंगल के अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है ।
वन्य प्राणियों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों एवं सरीसृपों का भी प्रमुख स्थान होता है । जंगलों में तोता, मोर, कौआ,कबूतर, चील, बाज, मैना, गौरैया जैसे सभी प्रमुख पक्षी निवास करते हैं । इनके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के साँप, बिच्छू, गिलहरी एवं भयंकर आकृति वाले कीड़े यहाँ बड़ी संख्या में रहते हैं । मधुमक्खियाँ तितलियाँ भौरई बर्रे जैसे उड़ने वाले कीट-पतंगे वन की शोभा बढ़ाते हैं ।
HOPE IT HELPS U ....!!❤❤❤❤
जंगली (वन्य) जीव पर निबंध====
संसार के विभिन्न भागों में बड़े-बड़े जंगल पाए जाते हैं । इन जंगलों में जंगली जीव निवास करते हैं । जंगली जीवों को अपने आवास से भोजन एवं सुरक्षा प्राप्त होती है । लेकिन जैसे-जैसे जंगल कटते जा रहे हैं वैसे-वैसे इनकी संख्या में कमी आती जा रही है |
जंगल में बड़े आकार वाले भयानक एवं हिंसक जीवों का निवास होता है । हाथी जंगल का एवं भूमि का सबसे बड़ा जीव है लेकिन यह शाकाहारी होता है । शेर, बाघ, भालू, चीता, लोमड़ी, अजगर आदि बड़े शरीर वाले जीव मांसाहारी होते हैं । शेर को जंगल का राजा माना जाता है क्योंकि यह बहुत शक्तिशाली होता है तथा इसकी चाल बड़ी रोबीली होती है । वन में हाथी ही एकमात्र जीव है जो इसका सामना करने की सामर्थ्य रखता है । इसीलिए मनुष्य हाथी पर सवार होकर जंगल भ्रमण पर निकलते हैं । हाथियों को देखकर शेर उनके पास नहीं आता है ।
जंगल में जहाँ बड़े खूँखार जीव रहते हैं वहीं जिराफ हिरन नीलगाय बंदर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या भी कम नहीं होती । शाकाहारी जंगली जीव वन में उपलब्ध हरी पत्तियों फलों एवं घास खाकर जीवित रहते हैं । मांसाहारी हिंसक जीव अपेक्षाकृत छोटे या कम शक्तिशाली जीवों का शिकार करते हैं एवं उनका मांस खाते हैं । इस प्रकार जंगल में आहार की एक संतुलित शृंखला है जो जंगल के अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है ।
वन्य प्राणियों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों एवं सरीसृपों का भी प्रमुख स्थान होता है । जंगलों में तोता, मोर, कौआ,कबूतर, चील, बाज, मैना, गौरैया जैसे सभी प्रमुख पक्षी निवास करते हैं । इनके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के साँप, बिच्छू, गिलहरी एवं भयंकर आकृति वाले कीड़े यहाँ बड़ी संख्या में रहते हैं । मधुमक्खियाँ तितलियाँ भौरई बर्रे जैसे उड़ने वाले कीट-पतंगे वन की शोभा बढ़ाते हैं ।
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ashu4962:
i want in Hindi language
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जीव-जंतुओं को बचाने के लिए प्रयास जरूरी
नंदिता कृष्णा ने अपनी नई किताब 'द सेक्रेर्ड एनीमल्स ऑफ इंडिया' में कहा, "जीवों के प्रति प्राचीन भारतीय संस्कृति का आदरपूर्ण नजरिया वापस लाकर ही अस्तित्व का खतरा झेल रहे भारत के वन्य जीवों को बचाया जा सकता है।"
भारतीय संस्कृति में अहिंसा के सिद्धांत और हिंदू धर्म में पौराणिक मिथकों के जरिए जीव जंतुओं को पर्याप्त आदर दिया गया है। कई जानवरों को हिंदू देवी-देवताओं का वाहन बताया गया है।
हिंदू संस्कृति में बैल, गाय, हाथी, बंदर आदि को पूजनीय माना गया है। हिंदू विचारधारा में शाकाहारी भोजन पर जोर के कारण भारतीय वन्य जीवों को पर्याप्त संरक्षण मिलता था लेकिन इन मिथकों के टूटने और ब्रिटिश राज में जानवरों के प्रति आदर खत्म होने से वन्य जीवन संकट में पड़ गया है।
लेखिका का कहना है कि अब मूल्य बदल गए हैं। पालतू जानवरों को निर्दयता से पीटा जाता है। गाय को हिंदू धर्म में अद्वितीय स्थान दिया गया है लेकिन अब इसे ज्यादा से ज्यादा दूध देने की मशीन मान लिया गया है। शिव मंदिरों की शोभा बढ़ाने वाला बैल ज्यादा से ज्यादा माल ढोने के लिए प्रताड़ित होता है। किताब में कहा गया, "संभवत: भारत में जानवर सबसे बुरा जीवन जीते हैं।"
मुगल राजाओं ने शिकार के जरिए गेंडे और बाघों को अंत के करीब पहुंचा दिया। ब्रिटिश काल में देश के जानवरों को दरिंदों के रूप में प्रचारित किया गया जिससे इनकी सुरक्षा पूरी तरह खत्म हो गई। इस दौरान अंग्रजों ने हर साल 20,000 वन्यजीवों को मारा। चीता सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ और शेर, बाघ और तेंदुए भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए।
अब सर्कसों में जानवरों से बेहूदा प्रदर्शन करवाया जाता है, उनसे निर्दयता से काम कराया जाता है। उन्हें मंदिरों में भी ग्रेनाइट और सीमेंट के फर्श पर घंटों खड़ा किया जाता हैं।
किताब में कहा गया, "यदि हम अपने वन्यजीवों को शिकार और विलुप्त होने से नहीं बचा सके, यदि हम अपने पालतू जानवरों को क्रूरता से नहीं बचा सके तो हमें अपने आप को शिक्षित तथा अहिंसा की महान विरासत का वारिस कहलाने का कोई हक नहीं है।"
नंदिता कृष्णा ने अपनी नई किताब 'द सेक्रेर्ड एनीमल्स ऑफ इंडिया' में कहा, "जीवों के प्रति प्राचीन भारतीय संस्कृति का आदरपूर्ण नजरिया वापस लाकर ही अस्तित्व का खतरा झेल रहे भारत के वन्य जीवों को बचाया जा सकता है।"
भारतीय संस्कृति में अहिंसा के सिद्धांत और हिंदू धर्म में पौराणिक मिथकों के जरिए जीव जंतुओं को पर्याप्त आदर दिया गया है। कई जानवरों को हिंदू देवी-देवताओं का वाहन बताया गया है।
हिंदू संस्कृति में बैल, गाय, हाथी, बंदर आदि को पूजनीय माना गया है। हिंदू विचारधारा में शाकाहारी भोजन पर जोर के कारण भारतीय वन्य जीवों को पर्याप्त संरक्षण मिलता था लेकिन इन मिथकों के टूटने और ब्रिटिश राज में जानवरों के प्रति आदर खत्म होने से वन्य जीवन संकट में पड़ गया है।
लेखिका का कहना है कि अब मूल्य बदल गए हैं। पालतू जानवरों को निर्दयता से पीटा जाता है। गाय को हिंदू धर्म में अद्वितीय स्थान दिया गया है लेकिन अब इसे ज्यादा से ज्यादा दूध देने की मशीन मान लिया गया है। शिव मंदिरों की शोभा बढ़ाने वाला बैल ज्यादा से ज्यादा माल ढोने के लिए प्रताड़ित होता है। किताब में कहा गया, "संभवत: भारत में जानवर सबसे बुरा जीवन जीते हैं।"
मुगल राजाओं ने शिकार के जरिए गेंडे और बाघों को अंत के करीब पहुंचा दिया। ब्रिटिश काल में देश के जानवरों को दरिंदों के रूप में प्रचारित किया गया जिससे इनकी सुरक्षा पूरी तरह खत्म हो गई। इस दौरान अंग्रजों ने हर साल 20,000 वन्यजीवों को मारा। चीता सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ और शेर, बाघ और तेंदुए भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए।
अब सर्कसों में जानवरों से बेहूदा प्रदर्शन करवाया जाता है, उनसे निर्दयता से काम कराया जाता है। उन्हें मंदिरों में भी ग्रेनाइट और सीमेंट के फर्श पर घंटों खड़ा किया जाता हैं।
किताब में कहा गया, "यदि हम अपने वन्यजीवों को शिकार और विलुप्त होने से नहीं बचा सके, यदि हम अपने पालतू जानवरों को क्रूरता से नहीं बचा सके तो हमें अपने आप को शिक्षित तथा अहिंसा की महान विरासत का वारिस कहलाने का कोई हक नहीं है।"
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