Hindi, asked by rockstar4034, 1 year ago

jeevan parichay of goswami tulsidas?

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Answered by fruitwargi
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here is your answer dear.


जन्म – 1589 विक्रम संवत्

जन्म स्थान – राजापुर, बांदा, उ०प्र०

पिता – आत्माराम दुबे

माता – हुलसी देवी

मृत्यु – 1680 विक्रम संवत्

गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म 1589 विक्रम संवत् में उ०प्र० के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था, इनके पिता पंडित आत्माराम दुबे तथा माता हुलसी देवी थी ! कुछ विद्वान् इनकी रचित पंक्ति “मैं पुनि निज गुरु सन सुनि,कथा सो सुकरखेत” के आधार पर इनका जन्म एटा जिले के सोरो नामक ग्राम में मानते है, अतः विद्वान् के प्रमाण स्वरुप इनके जन्म स्थान में राजापुर ग्राम को अधिक प्रमाणिकता मिली है !

विद्वानों का मत है कि इनके माता पिता ने बाल्यकाल में ही इनका त्याग कर दिया तथा इनका पालन-पोषण प्रसिद्ध संत बाबा नरहरिदास के संरक्षण में हुआ, इन्ही के देख-रेख में तुलसीदास ने भक्ति एवं ज्ञान की विद्या अर्जित की और शिक्षा पुरी होने के उपरान्त ये पुनः अपने ग्राम राजापुर आ गये ! जहाँ पर इनका विवाह पंडित दीनबंधु पाठक की सुन्दर कन्या रत्नावली से हुआ, ये अपनी पत्नी को बहुत अधिक प्रेम करते थे जिससे एक बार रत्नावली इनसे खिन्न होकर बोली कि आप जितना ध्यान मुझमे देते हो अगर इससे कम ही ध्यान प्रभु भक्ति में देते तो साक्षात् प्रभु के दर्शन आपको हो जाते, रत्नावली की ये बाते इन्हें दिल पर चोट कर गई और वे प्रभु की भक्ति की ओर उन्मुख हो गये ! रत्नावली की बातो से इन्हें वैराग्य हो गया !
इसके उपरान्त काशी के के विद्वान् शेष सनातन से तुलसी ने वेद-वेदांग का ज्ञान प्राप्त किया और अनेक तीर्थो का भ्रमण करते हुए श्रीराम के पावन चरित्र का गुडगान करने लगे, इनका सर्वाधिक समय काशी,अयोध्या और चित्रकूट में व्यतीत हुआ ! किन्तु अपने अंतिम समय में ये काशी आ गये और सन 1623ई० को इन्होने राम – राम कहते हुए काशी के अस्सी घाट पर परमात्मा में विलीन हो गये !

साहित्यिक परिचय –
तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान विभूति है ! इन्होने राम के सन्दर्भ में अपनी रचना “रामचरितमानस” में बहुत ही सुन्दर रूप से वर्णन किया है इनकी रचना में भक्ति भावना का सर्वाधिक समावेश मिलता है जिसके कारण इन्हें रामभक्ति शाखा का कवि कहने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं हो सकता है !

रचनाये –
ये भक्तिकाल के एक विख्यात कवि थे और प्रभु श्रीराम के दीवाने थे, इनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ रामचरितमानस है इस ग्रन्थ में इन्होंने विस्तार पूर्वक श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया है ! तुलसी के राम में शक्ति,शील और सौन्दर्य तीनो गुणों का अश्रुपूर्ण समावेश मिलता है इनकी रचनाये मुख्य रूप से अवधी भाषा में मिलती है !

रामचरितमान –
यह इनका सबसे प्रशिद्ध ग्रन्थ है, इसमे इन्होने दोहा-चौपाई के माध्यम से राम के जीवन की समस्त दर्शन को दिखाते है, गोस्वामी जी की यह रचना अवधी भाषा में रचित है !

गीतावली –
गोस्वामी जी के द्वारा रचित गीतावली ब्रज भाषा में रचित है, इस ग्रन्थ गोस्वामी तुलसीदास जी ने पद्य रचना के माध्यम से मानव जीवन को प्रेम पूर्वक कल्याण हेतु निहितार्थ करते है !

अन्य ग्रन्थ –
“जानकी मंगल”, “पार्वती-मंगल”, रामलला नहछू, रामाज्ञा प्रश्न, बरवै रामायण, वैराग्य संदीपनी, कृष्ण गीतावली, दोहावली, कवितावली, तथा विनयपत्रिका इत्यादी !


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