jeevan parichay rahul sankratyayan
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✯राहुल सांकृत्यायन✯
☆ जीवन परिचय : सन् 1893 में हिंदी साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के गाँव पंदहा में हुआ था । उनकी सम्पूर्ण शिक्षा काशी , आगरा एवं लाहौर में हुई । सन् 1930 में राहुलजी ने श्रीलंका की यात्रा की तथा बौद्ध धर्म से प्रेरित होकर उसे अपना लिया। वास्तव में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद ही इनका नाम राहुल । सांकृत्यायन पड़ गया । साहित्य की दुनिया में इन्हें महापंडित भी कहते थे क्योंकि इनका पालि , प्राकृत , अपभ्रंश , तिब्बती , जापानी , चीनी , रूसी आदि अनेक भाषाओं पर अधिकार था । सन् 1963 में वे परलोक सिधार गए।
☆ प्रमुख रचनाएँ : राहुल सांस्कृत्यान ने साहित्य की ऐसी कोई विधा नहीं छोड़ी जिस पर उन्होंने नहीं लिखा है । वे एक बहुमुखी प्रतिभासंपन्न साहित्यकार थे । उन्होंने कहानी , उपन्यास , जीवनी , यात्रावृत्त , आत्मकथा , आलोचना , शोध आदि अनेक विधाओं में स्वयं को निपुण साबित किया । उन्होंने अनेक ग्रंथों का हिंदी अनुवाद भी किया।
☆ साहित्यिक रचनाएँ : मेरी जीवन यात्रा ( छह भाग ) , दर्शन - दिग्दर्शन , बाइसवीं सदी , वोल्गा से गंगा , भागो नहीं दुनिया को बदलो , दिमागी गुलामी , घुमक्कड़ शास्त्रा साहित्य के अतिरिक्त दर्शन , राजनीति , धर्म , इतिहास , विज्ञान आदि विभिन्न विषयों पर राहुल जी द्वारा रचित पुस्तकों की संख्या लगभग 150 है।
☆ साहित्य विशेषताएँ : राहुल स्वभाव से घुमक्कड़ थे । उन्होंने मंजिल के स्थान पर यात्रा को ही घुमक्कड़ का उद्देश्य बताया । घुमक्कड़ी से मनोरंजन , ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थलों की जानकारी के साथ - साथ भाषा एवं संस्कृति का भी आदान - प्रदान होता है । राहुल वर्णन की कला में निपुण हैं । रोचकता उनके लेखन का प्रधान गुण है।
☆ भाषा - शैली : राहुल जी की भाषा सरल , सहज एवं प्रभावात्मक शब्दों से परिपूर्ण है । उनकी रचनाओं में आंचलिक शब्दों की बहुलता के कारण भाषा में एक विशेष प्रवाह आ जाता है । उन्होंने हिंदी के अलावा उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग किया है।