kaun tha suyodhan in
Hindi
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कौन सुयोधन, कौन दुर्योधन, किसने नामों का व्यापार किया
धर्म अधर्म की परिभाषा धूमिल, महाभारत ने साकार किया।।
धर्म कहाँ तब सोया था,
जब दुर्योधन का अपमान हुआ।
अंधे का बेटा अंधा, कह,
द्रौपदी ने किसका सम्मान किया।
वो था क्षत्रिय बलवान बड़ा,
अपमान का घूंट क्यूँ पी जाता।
उड़ी थी खिल्ली उसके पिता की,
क्या हो मौन वो जी पाता।
है पौरुष का दम्भ ये कैसा,
जो वस्तु समझ पत्नी जुए में हारा हो।
धर्मराज कहलाये कैसे,
जिसने भरी सभा में धर्म को मारा हो।
दुर्योधन का दोष कहाँ फिर,
उसने तो द्रौपदी को जुए में जीता था।
था पांडवों का पाप बड़ा वो,
जो समय विपरीत द्रौपदी पे बीता था।
युद्ध कहाँ वो युद्ध रहा,
दृष्टद्युम्न ने जब द्रोण का शीश उतारा था।
धर्मराज का धर्म कहाँ,
जब उसने शब्द असत्य उच्चारा था।
वीर कहाँ, कैसा था अर्जुन,
बन कपटी, क्या धर्म का हाल बनाया था।
वीरता अपनी दिखलाने को,
भीष्म सम्मुख, शिखंडी को ढाल बनाया था।
धर्म कहाँ था कृष्ण का,
जब दुर्योधन की जंघा पर भीम ने वार किया।
धर्म अधर्म की इस लीला में,
वो अधर्म ही था जिसने धर्म को मार दिया।
सत्य कटु है किंतु सत्य है,
धर्म हर युग में सबल का दास रहा।
दुर्बल दलित की कौन सुने,
हर युग में उसका उपहास रहा।
कौन क्यूँ कहता फिर, धर्म स्थापना हेतु उसने आकार लिया।
धर्म अधर्म की परिभाषा धूमिल, महाभारत ने साकार किया।।