Hindi, asked by rakhibansode1983, 11 months ago

Jevan me parisharam ka mathav

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Answered by amanpathak8833
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परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है ।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है ।

किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है । आज यदि हम देश-विदेश के महान अथवा सुविख्यात पुरुषों अथवा स्त्रियों की जीवन-शैली का आकलन करें तो हम यही पाएँगे कि जीवन में इस ऊँचाई या प्रसिद्‌धि के पीछे उनके द्‌वारा किए गए सतत अभ्यास व परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है ।

Answered by shayankdewangan61
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