झूम खेती से क्या तात्पर्य है? सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटकों के नाम लिखिए।
[Rajasthan Board Class 10 Science Board Paper 2018]
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सामाजिक वानिकी के ... सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटक हैं..
कृषि वानिकी तथा वन विभाग द्वारा सड़कों, नहरों, अस्पताल आदि सार्वजनिक जगहों पर सामुदायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षारोपण करना आदि।
Explanation:
झूम खेती से तात्पर्य उस तरह की खेती से है, जिसमें किसी जगह की सारी वनस्पति को जलाकर राख कर दिया जाता है। उस राख से वहां की भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है। इस कारण वहां शुरू के दो तीन वर्ष अच्छी फसल हो जाती है। बाद में भूमि की उर्वरता कम होने पर दूसरी जगह पर यही विधि अपनाकर पुनः ऐसी ही खेती की जाती है। इस तरह की खेती ‘झूम खेती’ कहलाती है।
झूम खेती से तात्पर्य उस तरह की खेती से है, जिसमें किसी जगह की सारी वनस्पति को जलाकर राख कर दिया जाता है। उस राख से वहां की भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है। इस कारण वहां शुरू के दो तीन वर्ष अच्छी फसल हो जाती है। बाद में भूमि की उर्वरता कम होने पर दूसरी जगह पर यही विधि अपनाकर पुनः ऐसी ही खेती की जाती है। इस तरह की खेती ‘झूम खेती’ कहलाती है।सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटक हैं..
झूम खेती से तात्पर्य उस तरह की खेती से है, जिसमें किसी जगह की सारी वनस्पति को जलाकर राख कर दिया जाता है। उस राख से वहां की भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है। इस कारण वहां शुरू के दो तीन वर्ष अच्छी फसल हो जाती है। बाद में भूमि की उर्वरता कम होने पर दूसरी जगह पर यही विधि अपनाकर पुनः ऐसी ही खेती की जाती है। इस तरह की खेती ‘झूम खेती’ कहलाती है।सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटक हैं..कृषि वानिकी तथा वन विभाग द्वारा सड़कों, नहरों, अस्पताल आदि सार्वजनिक जगहों पर सामुदायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षारोपण करना आदि।
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