झेन की देन के माध्यम से लेखक क्या समझना चाहता है ?
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‘झेन की देन’ पाठ के माध्यम से लेखक ‘रविंद्र केलेकर’ एक संदेश देना चाहता है। लेखक यह कहना चाहता है कि वर्तमान ही एक मात्र सत्य होता है। भूत व भविष्य दोनों एक भ्रम के समान हैं, क्योंकि भूत वो है, जो बीत गया है, भविष्य तो अभी आया ही नहीं है, इसलिए इन दोनों काल पर हमारा कोई वश नहीं। हमें केवल वर्तमान में जीना चाहिए क्योंकि वर्तमान पर हमारा वश है। अपने भूत एवं भविष्य की चिंता ना करते हुए केवल अपने वर्तमान को सुधारें तो हमारा जीवन अधिक बेहतर बन सकता है। इसलिए हमें वर्तमान के संबंध में बेहतरीन प्रयोग करते हुए अपने वर्तमान को सुखमय बनाना चाहिए।
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने जापान की एक विशेष प्रकार की टी-सेरेमनी का वर्णन किया है, जो वास्तव में ध्यान की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में एक कुटी में तीन लोगों को प्रवेश दिया जाता है। उनके सामने प्याले में चाय परोसी जाती है, फिर वह चाय धीरे-धीरे करके पीते हैं, और कुटिया में एकदम शांत वातावरण होता है। कोई किसी से बातचीत नहीं करता। इस शांत एवं प्राकृतिक वातावरण में धीरे-धीरे चाय पीने से ऐसा महसूस होता है कि मस्तिष्क विचार शून्य हो गया हो और मनुष्य अपने भूत एवं भविष्य के ख्यालों को भूलकर वर्तमान में ही जीता है। इस तरह मनुष्य को वर्तमान में जीने की प्रेरणा मिलती है।
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