झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अन्दर बेटे की जवान बौबी बुधिया प्रसव - वेदना से पछाड़ खा रही थी । रह रहकर उसके मुंह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज निकलती थी कि दोनों कलेजा थाम लेते थे । " इस गद्यांश का संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।
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the number of the Constitution of India and I will be added to
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