Jhansi ki rani kavita ka saransh summary
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लक्ष्मीबाई एक स्त्री होते हुए भी पुरुषों के समान वीरता, साहस के गुणों से युक्त थी।लक्ष्मी बाई मर्दों के समान युद्ध कला में निपुण थे। वे पुरुषों के भेष में उन्हीं के समान युद्ध में भाग लेती थी ।वे आदमियों के समान ही अस्त्र शस्त्र चलाने में कुशल थी। लक्ष्मीबाई साहस और वीरता में भी मर्दों से कम नहीं थी। वह बचपन से ही वीर एवं निडर थी। वह युद्ध क्षेत्र में किसी भी पुरुष को हराने में सक्षम थी। लक्ष्मीबाई का पूरा व्यवहार पुरुषों के समान ही था। झांसी के शासन की बागडोर के राजा के मृत्यु के बाद उन्हीं के हाथ में थी और मर्दों के समान विशेषताओं के कारण हैं सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को मर्दानी कहां है।
if in english:
Laxmibai, despite being a woman, possessed the same valor, courage, and courage as men. Lakshmi Bai was skilled in martial arts like men. She used to participate in the same war in disguise as men. She was skilled in wielding weapons like men. Laxmibai was not less than men in courage and valor. She was brave and fearless since childhood. She was able to defeat any men in the war zone. Laxmibai's entire behavior was similar to that of men. The reign of Jhansi was in his hands after the death of the king of the reins and due to the same characteristics of men, where is Subhadra Kumari Chauhan Lakshmibai as a man.
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यह कविता झाँसी की रानी सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई है|
इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उनके प्रति भावपूर्ण श्रदांजली अर्पित की है|
यह रानी लक्ष्मी बाई की समाधि है| रानी के बलिदान और महान त्याग , आहुति का काम किया जिससे लोगों में अधिक उत्साह से आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने की कीर्ति चारों और फ़ैल गई| इसमें रानी के शरीर की राख है| रानी ने अपने शरीर का बलिदान देकर अपने देश की रक्षा की थी| रानी की यह छोटी से समाधि के महान त्याग और देशभक्ति की निशानी है|
कवयित्री कहती है , रानी ने युद्ध भूमि में अंग्रेजी सेना के साथ बहादुरी से लड़ते हुए रानी के शरीर के टुकड़े—टुकड़े हो गए थे | लक्ष्मीबाई महिला होते हुए भी युद्ध के मैदान में अत्यंत वीरता के साथ मर्दों की तरह साहस, निडरता, और बहादुरी से शत्रुओं से लड़ी थीं। ग्रेजों से अत्यंत वीरता से लड़ती रहीं। उनके पराक्रम की प्रशंसा उनके शत्रु भी करते थे।
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मेरा प्रिय ऐतिहासिक पात्र महारानी लक्ष्मीबाई है |