Jhansi ki rani ki sankshipt jivani likhen
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रानी लक्ष्मीबाई रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रांति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं।
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लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले में 19 नवम्बर 1828 को एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसके बचपन का नाम मणिकर्णिका था पर परिवारवाले उन्हें स्नेह से मनु पुकारते थे। उनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे था और माता का नाम भागीरथी सप्रे। उनके माता-पिता महाराष्ट्र से सम्बन्ध रखते थे। जब लक्ष्मीबाई मात्र चार साल की थीं तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माँ के निधन के बाद घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले गये। वहां मनु के स्वभाव ने सबका मन मोह लिया और लोग उसे प्यार से “छबीली” कहने लगे। शास्त्रों की शिक्षा के साथ-साथ मनु को शस्त्रों की शिक्षा भी दी गयी। सन 1842 में मनु का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और इस प्रकार वे झाँसी की रानी बन गयीं और उनका नाम बदलकर लक्ष्मीबाई कर दिया गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव को पुत्र रत्न की पारपत हुई पर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। उधर गंगाधर राव का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था। स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। उन्होंने वैसा ही किया और पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को गंगाधर राव परलोक सिधार गए। उनके दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया।
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