Hindi, asked by neelam0910, 10 months ago

jivan main yoga ki anivaryata aur usse milne vale labh per nibandh likhiye​

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Answered by vijayagrawal051
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Answer:

Yoga hamare शरीर मै furti lata है

Answered by RAKESHSINGHKANIYAL
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Answer:

प्रस्तावना

योग की उत्पत्ति प्राचीन समय में, योगियों द्वारा भारत में की गई थी। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द से हुई है, जिसके दो अर्थ हैं। एक अर्थ है जोड़ना और दूसरा अर्थ है अनुशासन। योग का अभ्यास हमें शरीर और मस्तिष्क के जुड़ाव द्वारा शरीर और मस्तिष्क के अनुशासन को सिखाता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है, जो शरीर और मस्तिष्क के संतुलन के साथ ही प्रकृति के करीब आने के लिए ध्यान के माध्यम से किया जाता है।

यह पहले समय में, हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों द्वारा किया जाता था। यह व्यायाम का ही एक अद्भुत प्रकार है, जो शरीर और मन को नियंत्रित करके जीवन को बेहतर बनाता है। योग हमेशा स्वस्थ जीवन जीने का एक विज्ञान है। यह एक दवा की तरह है, जो हमारे शरीर के अंगों के कार्यों करने के ढंग को नियमित करके हमें विभिन्न बीमारियों से बचाने का कार्य करता है।

आंतरिक शांति

योग हमारे शरीर में शांति बढ़ाने और हमारे सभी तनाव तथा समस्याओं मुक्ति दिलाने का कार्य करता है। योग और इसके लाभों के बारे में दुनिया भर के लोगों को जागरूक करने के लिए वार्षिक रुप से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर (अंतरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस) कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसका अभ्यास लोगों के द्वारा किसी भी आयु में किया जा सकता है जैसे बचपन, किशोरावस्था, वयस्क या वृद्धावस्था। इसके लिए नियंत्रित तरीके से सांस लेने के साथ सुरक्षित, धीमे और नियंत्रित शारीरिक गतिविधियों की भी आवश्यकता होती है। वयस्कों और बच्चों की तुलना में वयस्कों की आयु में सबसे ज्यादा समस्याएं हैं। योग करने से शरीर में शांति का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण हमारे अंदर आत्मविश्वास भी जागृत होता है।

निष्कर्ष

वास्तव में योग वह क्रिया है, जो शरीर के अंगों की गतिविधियों और सांसों को नियंत्रित करता है। यह शरीर और मन, दोनों को प्रकृति से जोड़कर आन्तरिक और बाहरी ताकत को बढ़ावा देने का कार्य करता है। विभिन्न प्रकार के योग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं, इसलिए केवल आवश्यक और सुझाये गए योगों का ही अभ्यास करना चाहिए। यह केवल एक शारीरिक क्रिया ही नहीं है, क्योंकि यह एक मनुष्य को मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक विचारों पर नियंत्रण करने के योग्य भी बनाता है।

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