Hindi, asked by rupeshdalal9856, 1 year ago

jivan me guru ki mahatavata

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Answered by abhinav2005
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I don't know man really
Answered by lalitata
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गुरु पूर्णिमा के दिन हम गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करते हैं। महान स्वप्नदद्रष्टाओं की पीढ़ियों ने वेदांत-आत्म-प्रबंधन के विज्ञान-को जीवित रखा था। गुरु शब्द का अर्थ है ‘अधंकार को दूर करने वाला’ । गुरु अज्ञान को दूर करके हमें ज्ञान का प्रकाश देता है। वह ज्ञान जो हमें बतलाता है कि हम कौन हैं; विश्व से कैसे जुड़ें और कैसे सच्ची सफलता प्राप्त करें। सबसे अधिक महत्वपूर्ण कि कैसे विश्व से ऊपर उठ कर अनश्वर परमानंद के धाम पहुंचे। आज के दिन हम फिर से अपने को मानव संपूर्णता के प्रति अपने आप को समर्पित करते हैं। वेदांत का अध्ययन करें,उसे अंगीकार करें और उसी के अनुसार जीयें ताकि हम उसे भविष्य की पीढ़ियों को हस्तातंरित कर सके। वेदांत हमे बाहर से राजसी बनाता है ओर भीतर से ऋषि। बिना ऋषि बने भौतिक सफलता भी हमारे हाथ नहीं लगती है। शिक्षक का ज्ञान और छात्र की ऊर्जा का एक सम्मिलन एक जीवंत प्रगतिशील समाज के निर्वाण की ओर ले जाता है।  आज छात्रों की प्रवृत्ति शिक्षक को कमतर आंकना है, आज का दिन उस संतुलन को पुन:स्थापित करने में सहायक होता है। यह जीवन के हर क्षेत्र में गुरु के महत्त्व पर बल देता है। एक खिलाड़ी की प्रतिभा एक कोच की विशेषज्ञता के अंतर्गत दिशा प्राप्त करती है। समर्पित संरक्षक गुरु एक संगीतकार की प्रतिभा को तराशता है। अध्यात्म के मार्ग में एक खोजी के मस्तिष्क का अज्ञान गुरु का प्रबोध दूर करता है। गुरु-शिष्य का संबंध सर्वाधिक महत्व का है। 
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