jivan Parichay of Manmohan Das Karamchand Gandhi in hindi
Answers
Answer:
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जीवन परिचय
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नाम से लोकप्रिय मोहनदास कर्मचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था. पोरबंदर उस समय ब्रिटिश शासन के अंतर्गत बंबई प्रेसिडेंसी का एक भाग था. उनके पैतृक घर को आज कीर्ति मंदिर के नाम से जाना जाता है. महात्मा गांधी के पिता कर्मचंद गांधी पोरबंदर राज्य के दीवान थे. उस समय समाज में बाल विवाह का प्रचलन था. इसी प्रथा का अनुसरण करते हुए बाल्यावस्था में ही महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी से संपन्न हुआ था. कस्तूरबा गांधी को महात्मा गांधी के अनुयायी और जनता “बा” के नाम से पुकारती थी. जब महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) पंद्रह वर्ष के थे तब उनकी पहली संतान का जन्म हुआ. लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गई. इस घटना के एक वर्ष के भीतर ही मोहनदास कर्मचंद के पिता का भी निधन हो गया था. इसके बाद कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी के चार पुत्र हुए. एक औसत विद्यार्थी के तौर पर महात्मा गांधी ने पोरबंदर से प्राथमिक और राजकोट से हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. मोहनदास कर्मचंद का परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था. लेकिन वह पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं रखते थे. इसीलिए कई परेशानियों के बाद उन्होंने भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज से मैट्रिक की परीक्षा पास की. 4 सितंबर, 1888 को गांधी जी लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर की ट्रेनिंग लेने के लिए इंगलैंड चले गए. लंदन में रहने के दौरान महात्मा गांधी ने अपने पहनावे और बोलचाल में विदेशी संस्कृति को ग्रहण कर लिया था लेकिन खान-पान के मामले में वह शुद्ध शाकाहारी ही थे. किंतु जल्द ही उन्हें अपनी माता के गुजर जाने का समाचार प्राप्त हुआ. उन्हें वापस भारत आना पड़ा.
जब देश अंग्रेजों की प्रधानता से झगड़ा हुआ था जनता का शोषण और पतन हो रहा था प्रगति में विराम चिन्ह लगा हुआ था ऐसी विषम व विकट स्थिति में देश को एक जागरूक पथ प्रदर्शक की परम आवश्यकता थी ऐसे समय पर देश में महात्मा गांधी का जन्म हुआ उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर अपने हाथ में लेकर सत्य व अहिंसा के द्वारा देश को स्वतंत्र कराने में अपना जीवन लगा दिया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था इनका जन्म 2 अक्टूबर 1800 को कठियावाड़ प्रदेश के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था इनके पिता राजपूत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों की सच्चरित्र माता धार्मिक जीवन का प्रभाव गांधीजी के जीवन पर अत्याधिक पड़ा गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई 13 वर्ष में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा के साथ कर दिया गया विद्यालय में गांधीजी एक साधारण छात्र थे 18 वर्ष की अवस्था में हाई स्कूल उत्तर इन करें वह विलायक पढ़ने चले गए वहां की सदा सदा वस्त्र पहनते सादा भोजन खाते 3 वर्ष पश्चात बैरिस्टर होकर स्वदेश लौट आए और वकालत करने लगे 1809 और बंदर की एक व्यापारिक संस्था के मुकदमे की पैरवी के लिए गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए उन दिनों वह भारतीय प्रवासियों पर गोरे अंग्रेजों द्वारा अत्याचार बढ़ रहे थे सन् 1915 में गांधीजी स्वदेश लौटे और कांग्रेस सदस्य के रूप में सक्रिय हो गये सन् 1920 में जी के आकस्मिक निधन पर स्वतंत्रता आंदोलन के कंधों पर आ गई किंतु लंबे संघर्ष के बाद गांधी जी को लक्ष्य प्राप्ति तो वहीं पर भारत के टुकड़े टुकड़े हो गए भारत विभाजन से गांधीजी दिल के दिल पर बड़ा आघात हुआ 15 अगस्त 1935 को भारत स्वतंत्र हो गया और भारत विदेशी शोषण से मुक्त भी होगा संपूर्ण भारत दो भागों में विभक्त हो गया भारत व पाकिस्तान गांधीजी अपने अंतिम समय को शांति से व्यतीत करना चाह रहे थे कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारकर उनकी हत्या कर दी है राम शब्द कहकर उन्होंने अपने प्राण त्याग दी ट्राली का चरित्र आदर्श में था इनकी सज्जनता सरलता सच्चाई सद्बुद्धि तत्वज्ञान इत्यादि अन्य में मिलना दुर्लभ ही नहीं असंभव है जन्मदिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है उनका शांति संदेश सदा अमर रहेगा -