(क) 'अंधेर नगरी' पाठ का मूल उद्येश्य क्या है? आपने इस पाठ से क्या शिक्षा ग्रहण की?
(पाठ-15 देखिए)
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हिंदी पाठ का मूल उद्देश्य में
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अंधेर नगरी पाठ का मूल उद्देश्य है कि हमें लालच नहीं करनी चाहिए क्योंकि अधिक लालच करने से मनुष्य की सोचने की शक्ति कम हो जाती है तथा वह सही - गलत में अंतर नहीं कर पाता ।
- अंधेर नगरी पाठ में वहां के राजा व गंगाधर का यही हाल हुआ। दोनों अधिक लालच करने के कारण मुसीबत में पड़ गए।
- अंधेर नगरी राज्य का राजा महामूर्ख था। वह किसी भी अपराध की सजा किसी को भी दे देता था। उसके राज्य में टके सेर सब्जी व टके सेर खाजा मिलता था।
- कम भाव में मेवे व सब्जियां, खाने पीने का सामान देखकर गंगाधर लालच में अा गया उसने अपने गुरु की बात नहीं मानी जिसके कारण उसे फांसी तक की सजा मिल गई , अंत में उसके गुरु ने सूझ बूझ से उसकी जान बचाई तथा मूर्ख राजा ने वैकुंठ जाने की लालच में स्वयं को फांसी लगवा ली।
- इस पाठ से मैंने यह शिक्षा ग्रहण की कि लालच नहीं करनी चाहिए व मूर्खो के साथ नहीं रहना चाहिए।
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