के अनन्य
संतों की वाणी
(भक्ति-पद)
मीरा मगन भई हरि के गुण गाय।
साँप पिटारा राणा भेज्यो, मीरा हाथ दियो जाय।
न्हाय-धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय।।
ज़हर का प्याला राणा भेज्यो, अमृत दीन्ह बनाय।
न्हाय-धोय जब पीवण लागी, हो अमर अँचाय।।
सूल सेज राणा ने भेजी, दीजयो मीरा सुलाय।
साँझ भई मीरा सोवण लागी, मानो फूल बिछाय।।
मीरा के प्रभु सदा सहाई, राखे बिघन हटाय।
भाव-भजन में मस्त डोलती, गिरधर पै बलि जाय।।
-मीराबाई
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