काबा फिरी कासी भया, रामहि भया रहीम।कहा कबीर सो जिविता,जो दुहन के निकट न जेए kabirdas doha please translate
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isme ye kha gya h ki hindu kaasi jaate aur
muslim kaaba jbki kabir mante h ki iskwar
har jagah h isliye wo dono k pass nhi jaate hain
muslim kaaba jbki kabir mante h ki iskwar
har jagah h isliye wo dono k pass nhi jaate hain
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काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम।मोट चुन मैदा भया, बैठी कबीरा जीम।6।
कबीर ने साधुओं के से फर्स्ट अंदाज में हिंदू मुसलमानों की एकता पर बल दिया है। वे कहते हैं - काबा ही काशी है और राम ही रहीम। जब यह एकता और समानता का विचार आ जाता है तो मानव मोटा आटा ही मैदा बन जाता है। कबीर जैसे साधक तभी भोजन कर सकता है। अर्थात दोनों धर्मों में एकता की दृष्टि महत्वपूर्ण है।
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