(क)बाल गोविंद भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए ?
(ख)पाठ के आधार पर बाल गोविंद भक्त के गायन की विशेषताएं लिखिए?
(ग) लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक क्यों कहा है?
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(क) बाल गोविंद भगत अधेड़ उम्र के व्यक्ति थे उनकी बड़ी-बड़ी दाढ़ी थी एवं वह बहुत परिश्रमी व्यक्ति थे वह ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले उठकर खेत काम किया करते थे। उनकी दिनचर्या गांव में रहने वाले सभी लोगों से बहुत ही अलग थी। अपने गले में तुलसी की जड़ों की माला अर्थात कंठी पहना करते थे। कबीर भक्त से और उनकी रचनाओं को बड़ी चाव से गाया करते थे। (ख) बाल गोविंद भगत कबीर के भक्त थे एवं उनकी रचनाओं को बड़े चाव से गाया करते थे बिल्कुल संगीत की तरह। (ख) लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा है क्योंकि वह एक सज्जन व्यक्ति थे हर किसी के साथ अपने घनिष्ठ संबंध बना लिया करते थे वह सभी लोगों को अच्छी अच्छी प्रेरणादायक सीखे दिया करते थे इसलिए वहां लोगों के लिए करुणा की दिव्य चमक कहे जाते हैं और वह भारत की संस्कृति से भी बहुत प्रेम करते थे और अपनी हिंदी मातृभाषा को बढ़ावा देते थे।