क. बिंदु बनकर मैं तुम्हें ढलने न दूंगा,
सिंधु बन तुमको उठाने आ रहा हूँ
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जागरण गीत कविता का सारांश
इसमें कवि ने यथार्थ जीवन जीने का सन्देश दिया है। इस कविता का सारांश इस प्रकार है कवि गहरी नींद में सोने वालों से कह रहा है कि वह गीत गाकर उसे जगाने के लिए आ रहा है। वह अब नींद की गहराई से ऊपर निकालकर उसे आकर्षक उदयाचल की तरह उत्साह प्रदान करने का जागरण गीत गा रहा है।02-Oct-2019
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