क).भगत जी कैसी माल देख कर भौचक्के क्यों नहीं रह पाते ?
ख). भगत जी बाजार में किस लिए जाते थे?
ग).इस गद्यांश के आधार पर बताइए कि बाजार के बारे में हमारा कैसा रुख होना चाहिए।
घ). भगत जी बाजार में भी प्रसन्न और संतुष्ट क्यों दिखाई देता है?
२).भगत जी वस्तुओं के प्रति मन में कैसा भाव रखते थे ?
कृपया कर के सही उत्तर बताए
कक्षा बारहवीं आरोह किताब पाठ बाजार दर्शन
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ख) भगत जी अपने काम की चीज लेने के लिए पंसारी की दुकान पर नहीं रुकते हैं.
ग) इस बात के अनुसार बाजार की तरफ हमारा रुख संतोषजनक होना चाहिए. हमें बाजार की चकाचौंध में को नहीं जाना चाहिए बल्कि अपने बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए.
घ ) भगत जी बजार में प्रसन्न लिखिए दिखाई पड़ते हैं क्योंकि उन्हें जिस जो सामान चाहिए वह समान उन्हें मिल जाता है।उनका मन रिक्त नहीं है.
2) भगत जी के मन में वस्तुओं के लिए प्रीत नहीं है वह उनके लिए मन में आशीर्वाद रखते हैं
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