Hindi, asked by akshra8000, 4 months ago

कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?​​

Answers

Answered by shanthirani
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Answer:

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Explanation:

अप्पू की कल्पना में जार का आकार आसमान के समान बहुत ऊँचा हो जाता है। वह स्वयं को जार में कंचो के साथ बिल्कुल अकेला पाता है। परन्तु इस स्थिति में भी वह बहुत प्रसन्न है क्योंकि उन कंचो के साथ वो बिल्कुल अकेला है। वो उनको चारों ओर बिखेरता हुआ आनन्द ले रहा है, क्योंकि किसी की भी हिस्सेदारी इसमें नहीं है।

वहीं कक्षा में जब मास्टर जी ट्रेन के विषय में पढ़ा रहे थे । बॉयलर के विषय में आते ही, ”बॉयलर लोहे का बड़ा पीपा है” वह दुबारा अपनी कल्पना में विलीन हो जाता है कि लोहे के एक बड़े काँच के जार में हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे, बड़े आँवले जैसे उसमें कंचे भरे होंगे जॉर्ज और वो उनसे खेलेंगे और किसी को भी उस खेल में सम्मिलित नहीं करेंगे।

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