Hindi, asked by nehakhana92, 3 months ago

कुछ दिनों से आपके आसपास प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ चुका है जिसके निर्माण के लिए हमें किन्हीं पत्र लिखकर अपने आसपास इस बढ़ते प्रदूषण की सूचना देनी चाहिए​

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Answered by ranirajput74723
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Answer:

दीपावली के बाद राजधानी और आसपास के इलाकों में प्रदूषण के स्तर में आये उछाल के साथ ही व्हाट्स-एप पर एक मज़ाकिया मैसेज वायरल होने लगा.

"कब तक ज़िंदगी काटोगे, सिगरेट-बीड़ी और सिगार में;

कुछ दिन तो काटो दिल्ली-एनसीआर में…"

…और यही आज का क्रूर सच भी है. दिल्ली की हवा में सांस लेना हर रोज़ करीब 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर है और यह सिर्फ़ फैशनेबल आंकड़ेबाज़ी नहीं हैं. देश और दुनिया की तमाम विशेषज्ञ रिपोर्ट बताती आयी हैं कि विश्व के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 20 से अधिक भारत के हैं.

अपने पड़ोसी गुड़गांव, फरीदाबाद और गाज़ियाबाद के साथ देश की राजधानी दिल्ली इस सूची में सबसे ऊपर रहती है.रविवार को राजधानी के शाहदरा इलाके में एयर क्वॉलिटी सूचकांक 999 रहा जबकि सुरक्षित स्तर 50 के नीचे माना जाता है. दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में यह सूचकांक पिछले कई दिनों से 900 के ऊपर है.

डाउन-टु-अर्थ मैग्ज़ीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में सालाना 10-30 हज़ार लोग वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से मर रहे हैं. आईआईटी मुंबई के जानकारों ने दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर जो शोध किया उसके मुताबिक दिल्ली में सालाना मौत का यह आंकड़ा 14,800 है.

वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाले एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (एक्याएलआई) और शिकागो विश्वविद्यालय स्थित एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट के ताज़ा अध्ययन में कहा गया है कि उत्तर भारत में ख़राब हवा के कारण सामान्य इंसान की ज़िंदगी करीब 7.5 साल कम हो रही है.

महत्वपूर्ण है कि 1998 में यह आंकड़ा 3.7 साल था यानी प्रदूषण के चलते औसतन लगभग साढ़े तीन साल पहले मौत हो रही थी. यह शोध कहता है कि 1998 और 2006 के बीच उत्तर भारत में प्रदूषण 72% बढ़ा है.

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