कागजी युग और प्लास्टिक युग - पर निबंध लिखें
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कागजी युग और प्लास्टिक युग में जमीन आसमान का फर्क है क्योंकि कागज में कोई भी सामान नष्ट नहीं होता लेकिन प्लास्टिक में शारीरिक रूप से बहुत तरीके की क्षति होती है।
उदाहरण के लिए यदि आप किसी कागज से बनाई गई चीजों का प्रयोग करते हैं तो आप खुद ही अंतर देख पाएंगे। अगर आप गाय को कागज में कुछ डाल कर देते हैं खाने के लिए तो उसको खाने में सुविधा होती है। अगर कागज गलती से उसके पेट के अंदर चला भी जाता है तो उसके पेट के अंदर जाकर कागज गल जाएगा। लेकिन वही अगर गाय प्लास्टिक में खाना को खाती है और प्लास्टिक गलती से भी उसके पेट के अंदर चला जाता है तो प्लास्टिक गलता नहीं है उल्टे उसके शरीर को दुर्बल बना देता है उस को हानि पहुंचाता है।
कागज को हम जला सकते हैं मगर प्लास्टिक को नहीं। कागज को हम वापस पा सकते हैं लेकिन प्लास्टिक को नहीं। कागज की चीजों में गर्म खाना ठीक रहता है मगर प्लास्टिक की चीजों में गर्म खाना ठीक नहीं रहता है। प्लास्टिक में रखने पर गर्म खाने को खाने से शरीर में बहुत तरीके के रोगों की सृष्टि होती है। मगर कागज की चीजों में खाना खाने से शरीर में किसी भी तरह का रोग नहीं फैलता है।
कागजी युग और प्लास्टिक युग में जमीन आसमान का फर्क है क्योंकि कागज में कोई भी सामान नष्ट नहीं होता लेकिन प्लास्टिक में शारीरिक रूप से बहुत तरीके की क्षति होती है।
उदाहरण के लिए यदि आप किसी कागज से बनाई गई चीजों का प्रयोग करते हैं तो आप खुद ही अंतर देख पाएंगे। अगर आप गाय को कागज में कुछ डाल कर देते हैं खाने के लिए तो उसको खाने में सुविधा होती है। अगर कागज गलती से उसके पेट के अंदर चला भी जाता है तो उसके पेट के अंदर जाकर कागज गल जाएगा। लेकिन वही अगर गाय प्लास्टिक में खाना को खाती है और प्लास्टिक गलती से भी उसके पेट के अंदर चला जाता है तो प्लास्टिक गलता नहीं है उल्टे उसके शरीर को दुर्बल बना देता है उस को हानि पहुंचाता है।
कागज को हम जला सकते हैं मगर प्लास्टिक को नहीं। कागज को हम वापस पा सकते हैं लेकिन प्लास्टिक को नहीं। कागज की चीजों में गर्म खाना ठीक रहता है मगर प्लास्टिक की चीजों में गर्म खाना ठीक नहीं रहता है। प्लास्टिक में रखने पर गर्म खाने को खाने से शरीर में बहुत तरीके के रोगों की सृष्टि होती है। मगर कागज की चीजों में खाना खाने से शरीर में किसी भी तरह का रोग नहीं फैलता है।