कोहल वर्ग की किस अवस्था में नैतिकता की उपस्थिति नहीं रहती
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के नैतिक विकास के छः चरण हैं जिन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। इन छः चरणों में से प्रत्येक चरण नैतिक दुविधाएँ सुलझाने में अपने पूर्व चरण से अधिक परिपूर्ण कोलबर्ग ने नैतिक विकाश के सिद्धान्त को अबस्था का सिद्धान्त भी कहा है। पियाजे की तरह कोलबर्ग ने भी पाया कि नैतिक विकास कुछ चरणों (स्टेप्स) में होता है। कोलबर्ग ने पाया कि ये चरण सार्वभौमिक होते हैं। बच्चों के साथ बीस साल तक एक विशेष प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग करने के बाद कोलबर्ग इन निर्णयों पर पहुंचे।
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