कोई भी विपरीत हम पर हावी क्यों होती है
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एक बार किसी ने मुझसे पूछा- कि जब चारों ओर घोर अंधेरा हो, कोई मार्ग न सूझता हो तो क्या करें? जब सब तरफ घने बादल हो, बचाव का कोई रास्ता न दिखता हो तो क्या करे? सामने खड़े पहाड़ को देखकर रास्ता रुकता दिखता हो तो हम क्या करें? कुल मिलाकर जब हमारा मन घोर हताशा से भर जाए तो हम क्या करें? मैं समझता हूं, यह सवाल किसी एक व्यक्ति का नहीं, हर व्यक्ति सवाल के दौर से गुजरता है। जीवन का हमारा जो क्रम है,
कोई भी विपरीत हम पर हावी क्यों होती है?
एक बार किसी ने मुझसे पूछा- कि जब चारों ओर घोर अंधेरा हो, कोई मार्ग न सूझता हो तो क्या करें? जब सब तरफ घने बादल हो, बचाव का कोई रास्ता न दिखता हो तो क्या करे? सामने खड़े पहाड़ को देखकर रास्ता रुकता दिखता हो तो हम क्या करें? कुल मिलाकर जब हमारा मन घोर हताशा से भर जाए तो हम क्या करें? मैं समझता हूं, यह सवाल किसी एक व्यक्ति का नहीं, हर व्यक्ति सवाल के दौर से गुजरता है। जीवन का हमारा जो क्रम है।