(क) 'कुट्ज' के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है? उसे 'गाढ़े का साथी' क्यों कहा गया?
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कुटज ऐसा साथी है, जो कठिन दिनों में साथ रहा है। कालिदास ने अपनी रचना में जब रामगिरी पर्वत पर यक्ष को बादल से अनुरोध करने भेजा था, तो वहाँ कुटज का पेड़ ही विद्यमान था। उस समय में कुटज के फूल ही उसके काम आए थे। ऐसे स्थान पर जहाँ दूब तक पनप नहीं पाती है। यक्ष ने कुटज के फूल चढ़ाकर ही मेघ को प्रसन्न किया था। अतः उसे गाढ़े का साथी कहा गया है।
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