(क) कृति पूर्ण कीजिए: जैसा भोजन वैसा .
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(क) कृति पूर्ण कीजिए: जैसा भोजन वैसा...
कृति पूर्ण इस प्रकार होगी...
जैसा भोजन खाइये , तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।।
अर्थात कबीरदास जी कहते हैं कि आप जैसा भोजन करोगे, आपका मन वैसा ही बनेगा यानि भोजन करने से विचार भी वैसे ही बनते हैं। उसी तरह जैसा जल पियोगे आप की वाणी भी वैसी ही बनेगी। इसलिए हमेशा शुद्ध सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए और पवित्र जल पीना चाहिए ताकि मन के विचार और वाणी शुद्ध हों।
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