क) काव्यांश में निहित रस पहचानकर लिखिए- हे सारथे ! हैं द्रोण क्या, देवेंद्र भी आकर अड़े, है खेल क्षत्रिय बालकों का व्यूहभेदन कर लड़े। मैं सत्य कहता हूँ सखे! सुकुमार मत जानो मुझे, यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे।। ख) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए । ग) श्रृंगार रस के स्थायी भाव का नाम लिखिए । घ) वात्सल्य रस का स्थायीभाव क्या है?
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काव्यांश में निहित रस इस प्रकार है:
क) हे सारथे ! हैं द्रोण क्या, देवेंद्र भी आकर अड़े, है खेल क्षत्रिय बालकों का व्यूहभेदन कर लड़े। मैं सत्य कहता हूँ सखे! सुकुमार मत जानो मुझे, यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे।।
इन पंक्तियों में वीर रस है|
वीर रस में स्थायी भाव उत्साह होता है इस रस में जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना होती है|
जंहा पे विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वंहा वीर रस होता है | वीर रस के चार भेद है युद्वीर , धर्मवीर , दानवीर , दयावीर है|
वीर रस में इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है|
ख) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए ।
मधुर -मधुर मेरे दिपक जल|
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर|
करुण रस
करुण रस का स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं|
करुण रस उदहारण
यदि कोई दुर्घटना हो जाती है और उस दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं और उस घटना से अन्य लोग दुखी रहते हैं |
ग) श्रृंगार रस के स्थायी भाव का नाम लिखिए ।
श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति (प्यार) होता है। श्रंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|
घ) वात्सल्य रस का स्थायीभाव क्या है?
वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्यता होता है। इस रस में बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम,माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम,गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम आदि का वर्णन किया जाता है। यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
वात्सल्य रस उदाहरण
माँ का बेटे से प्यार |