(क) कविता में रतन किसे कहा गया है और वे कहाँ-कहाँ बिखरे हुए हैं?
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इस कविता में कवि ने ओस की बूंदों को रतन कहा है। जब जाड़ों के मौसम में ओस की बूंदें पत्तों पर गिरती हैं तो वह हीरे-मोती जैसे रत्नों की तरह दिखती हैं। यह रत्न हरी घास, पेड़ों के पत्तों और फूलों पर बिखरे हुए हैं। यह ओस की बूंदें बहुत अच्छी लगती है |
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