के लिए कहा गया गदग जानतलार बार
पाले महापुरुषों पर यह लागू नहीं होता। ये लोग कुसंगति छ प्रभाव और बहुत पर डट
पार प्रभाव अन्री नहीं पाता है। यहां एक साल और मान देने योग्य है, ह यह
अपने अंगा से लिपटे हुए विषयरों के प्रति काभी कोई कटु प्रतिक्रिया नहीं करता, उसी त
लोग भी दुष्टों के प्रति कोई घृणा, देष या आक्रोष व्यक्त नहीं करते और न ही उन्हें
चेष्टा करते हैं।"
प्रश्न 1 उचित विकल्प द्वारा उत्तर दीजिए-
(1+
(क) अष्टाध्यायी में समास
(१) कर्मधारय समास
(10 दिगु समाह
(v) तत्पुरुष समास
(ख) सज्जन सन्धि है-
() व्यंजन संधि
(61) विसर्ग संधि
(111) श्वर संधि
(v) अयादि संधि
(ग) व्यक्तित्व का विलोम शब्द है-
(1) सामाजिक (1) व्यक्तित्व
(15) निजी
(v) अपनत्व
प्रश्न-2 संगति का प्रभाव मनुष्य पर कैसा पडता है ?
प्रश्न-3 आपके विचार से एक सद्गुरू सम्पन्न व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होता है?
प्रश्न-4 प्रस्तुत गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक दीजिए-
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2) अच्छी व बुरी संगति का असर मनुष्य के जीवन पर पड़ता है: खनैता महंत मनुष्य को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। अच्छी या बुरी संगति का असर व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। गलत लोगों की संगत करने पर कुछ समय के लिए तो सुख मिलता है लेकिन बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
3) According to me, mere hisaab se ek sadguru sampann vyakti ka vyaktitva ekdum sadguni hota hai aur apne vicharo se sabhya hota hai.
4)
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